नई दिल्ली। रक्षा मंत्री एके एंटनी को बयान बदलने पर मजबूर करने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संप्रग सरकार पर फिर निशाना साधा है। अपने संसदीय जीवन के 41 सालों के अनुभव का हवाला देते हुए आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि एंटनी के लीपापोती वाले पहले बयान से मनमोहन सिंह सरकार की छवि को अपूरणीय क्षति हुई है। संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार है।
आडवाणी ने लिखा है, 'जम्मू-कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों ने घात लगाकर भारतीय सैनिकों की हत्या की। लेकिन, रक्षा मंत्री इस पर संसद में गलतबयानी करते हुए पकड़े गए। बाद में राष्ट्रीय भावना के आगे झुकते हुए उन्हें अपना बयान बदलना पड़ा।' उन्होंने रक्षा मंत्री पर अपने शुरुआती बयान में रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक बयान को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाया। आडवाणी के अनुसार मानसून सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से नवाज शरीफ के साथ बातचीत के मसौदे से 26/11 के मुंबई आतंकी हमले को बाहर रखने की खबर आ रही थी। लेकिन, संसद के दबाव के बाद रक्षा मंत्री को पाकिस्तान को बेहतर संबंधों के लिए अपने यहां आतंकी ढांचे खत्म करने व आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के साथ मुंबई आतंकी हमले के आरोपियों पर जल्द कार्रवाई की चेतावनी भी देनी पड़ी।
संसद की कार्यवाही नहीं चलने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए आडवाणी ने लिखा कि रायलसीमा और सीमांध्र के कांग्रेसी सांसद संसद में हंगामा करते रहे, लेकिन सरकार से उन्हें मनाने की कोशिश करते हुए किसी को नहीं देखा गया। आडवाणी के अनुसार इससे स्पष्ट है कि सरकार ने तेलंगाना की घोषणा करने से पहले संबंधित पक्षों को विश्वास में नहीं लिया था। राजग सरकार के दौरान झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड को बिना किसी विरोध के नए राज्य का दर्जा दिए जाने की उपलब्धि का जिक्र करते हुए आडवाणी ने स्वीकार किया कि तेलुगु देशम पार्टी के विरोध के कारण उस समय तेलंगाना को छोड़ दिया गया था।
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